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*❄💁‍♂जानें आर्टिकल 370 के हटने से जम्मू और कश्मीर में क्या-क्या बदल जायेगा?, article 370 hatne se jammu and kashmir me kya kya badal jayega?,what will change in Jammu and Kashmir with the removal of article 370?

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जानें आर्टिकल 370 के हटने से जम्मू और कश्मीर में क्या-क्या बदल जायेगा?, article 370 hatne se jammu and kashmir me kya kya badal jayega?,what will change in Jammu and Kashmir with the removal of article 370?


*💁‍♂आर्टिकल 370 का संक्षिप्त इतिहास*

भारत को आजादी मिलने के बाद *20 अक्टूबर, 1947* को पाकिस्तान समर्थित ‘आजाद कश्मीर सेना’ ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और काफी हिस्सा हथिया लिया था. इस हिस्से को आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) कहा जाता है.

इस परिस्थिति में महाराजा हरि सिंह ने जम्मू&कश्मीर की रक्षा के लिए उस समय कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से जवाहर लाल नेहरु के साथ मिलकर *26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ जम्मू&कश्मीर के अस्थायी विलय की घोषणा कर दी और "Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India" पर अपने हस्ताक्षर कर दिये थे.* इस नये समझौते के तहत जम्मू & कश्मीर ने भारत के साथ सिर्फ *तीन विषयों: रक्षा, विदेशी मामले और संचार को भारत के हवाले कर दिया था.* 

समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत सरकार ने वादा किया कि “'इस राज्य के लोग अपने स्वयं की संविधान सभा के माध्यम से राज्य के आंतरिक संविधान का निर्माण करेंगे और जब तक राज्य की संविधान सभा शासन व्यवस्था और अधिकार क्षेत्र की सीमा का निर्धारण नहीं कर लेती हैं तब तक भारत का संविधान केवल राज्य के बारे में एक अंतरिम व्यवस्था प्रदान कर सकता है.

संविधान सभा के अध्यक्ष _डॉ. भीमराव आंबेडकर कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे._ मगर *पंडित नेहरू के कहने पर गोपाल स्वामी आयंगर ने अनुच्छेद 370 का प्रस्ताव संविधान सभा में प्रस्तुत किया था* और यह *17 नवंबर 1952* से लागू है.

*आर्टिकल 370 के हटने से निम्न परिवर्तन होंगे;*

*1.* आर्टिकल 370 के अनुसार रक्षा, विदेशी मामले और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है लेकिन आर्टिकल 370 के हटते ही कोई भी कानून राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हो जायेगा.

*2.* आर्टिकल 370 के कारण जम्मू & कश्मीर का अपना संविधान है और इसका प्रशासन इसी के अनुसार चलाया जाता है ना कि भारत के संविधान के अनुसार.
यदि आर्टिकल 370 को हटा दिया जाता है तो कश्मीर का प्रशासन भी भारत के संविधान के अनुसार चलेगा.

*3.* जम्मू & कश्मीर के पास 2 झन्डे हैं. एक कश्मीर का अपना राष्ट्रीय झंडा है और भारत का तिरंगा झंडा भी यहाँ का राष्ट्रीय ध्वज है.
*यदि आर्टिकल 370 को हटा दिया जाता है तो कश्मीर का झंडा ख़त्म हो जायेगा.*

*4.* देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं. अर्थात इस राज्य में संपत्ति का मूलभूत अधिकार अभी भी लागू है लेकिन _आर्टिकल 370 के हटने के साथ ही अन्य भारतीय लोगों को कश्मीर में जमीन और अन्य संपत्तियां खरीदने की अनुमति मिल जाएगी और रहने/बसने का अधिकार भी मिल जायेगा._

*5.* कश्मीर के लोगों को 2 प्रकार की नागरिकता मिली हुई है; जो कि ख़त्म हो जाएगी और सबको केवल भारत का नागरिक माना जायेगा.

*6.* अभी *यदि कोई कश्मीरी महिला किसी भारतीय से शादी कर लेती है तो उसकी कश्मीरी नागरिकता ख़त्म हो जाती है लेकिन आर्टिकल 370 के हटने के बाद ऐसा नहीं होगा क्योंकि दोनों ही भारत के नागरिक हो जायेंगे.*

*7.* यदि कोई पाकिस्तानी लड़का किसी कश्मीरी लड़की से शादी कर लेता है तो उसको भारतीय नागरिकता भी मिल जाती है लेकिन आर्टिकल 370 के हटते ही कोई भी पाकिस्तानी शादी करके मान्यता प्राप्त नहीं कर पायेगा.

*8.* भारतीय संविधान के भाग 4 (राज्य के नीति निर्देशक तत्व) और भाग 4 A (मूल कर्तव्य) इस राज्य पर लागू नहीं होते हैं. अर्थात
आर्टिकल 370 के हटते ही कश्मीर के लोगों को भारत के संविधान में लिखे गये मूल कर्तव्यों को मानना अनिवार्य हो जायेगा और उनको महिलाओं की अस्मिता, गायों की रक्षा करनी पड़ेगी.

*9.* जम्मू एंड कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों (राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज इत्यादि) का अपमान करना अपराध की श्रेणी में आ जायेगा.

*10.*  जम्मू कश्मीर में आर्थिक आपातकाल (अनुच्छेद 360) लगाया जा सकेगा.

*11.* सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रीय आपातकाल लगते ही यह पूरे कश्मीर में भी लागू हो जायेगा. राष्ट्रपति के विशेष आदेश की जरूरत नहीं पड़ेगी.

*12.* सूचना का अधिकार और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून कश्मीर में भी लागू होने लगेंगे.

*13.* राज्य सरकार की नौकरियों में अन्य राज्यों के लोग भी सेलेक्ट हो सकेंगे.

*क्या 370 को हटाना संभव है?*

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाने के लिए संसद में कानून बनाने की जरूरत नहीं है. राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी कर इस धारा को खत्म कर सकते हैं.
अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को लेकर कहा था कि सालों से बने रहने के चलते अब यह धारा एक स्थायी प्रावधान बन चुकी है, जिससे इसको खत्म करना असंभव हो गया है. हालाँकि अब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए तैयार है.

सुप्रीम कोर्ट जिस याचिका पर सुनवाई करेगा, उसमें तर्क दिया गया है कि यह धारा संविधान के भाग 21 के तहत एक प्रावधान है. इसके शीर्षक में ही अस्थायी प्रावधान होना लिखा था. यह स्थायी नहीं है.
ज्ञातव्य है कि जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय भी आर्टिकल 370 को स्थायी मान चुका है.

ध्यान रहे कि भारतीय संविधान के अनेक कानून जम्मू-कश्मीर में लागू हो गए हैं और अब संविधान के *अनुच्छेद-356 के तहत कश्मीर में 6 महीने राज्यपाल शासन के बाद राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है.* सीएजी, चुनाव आयोग समेत कई संवैधानिक संस्थाओं का जम्मू-कश्मीर में बराबर का अधिकार है.

*अनुच्छेद 370 हटाने की अड़चनें क्या हैं?*

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती का मानना है कि अनुच्छेद 370 ने ही जम्मू-कश्मीर और शेष भारत को जोड़ रखा है. यह दोनों के बीच एकमात्र संवैधानिक कड़ी है.
इस बात की भी संभावना है कि आर्टिकल 370 के हटते ही *अलगाववादी जनमत संग्रह के मुद्दे को तूल देंगे और जम्मू-कश्मीर विवाद के अंतरराष्ट्रीयकरण का प्रयास करेंगे जिससे भारत सरकार के ऊपर इंटरनेशनल प्रेशर बढेगा.*

एक्चुअली में यदि राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो इस मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता है लेकिन वर्तमान सरकार के साथ अन्य सरकारें भी इस मुद्दे को लटकाकर अपने राजनीतिक हितों को साधना चाहती हैं.

जम्मू & कश्मीर में आतंक की मुख्य वजह वहां के कुछ अलगाववादी नेताओं के स्वार्थी हित हैं. ये अलगाववादी नेता पाकिस्तान के इशारों पर जम्मू & कश्मीर के गरीब लड़कों को भडकाते हैं और आतंक का रास्ता चुनने को मजबूर करते हैं हालाँकि ये नेता अपने लड़कों को विदेशों में पढ़ाते हैं.

अब समय की जरूरत यह है कि कश्मीर के लोग इन अलगाववादी नेताओं के स्वार्थी हितों को समझें और इस प्रदेश में मौजूद पर्यटन की संभावनाओ को बढ़ावा देकर इस प्रदेश को सही मायने में भारत का स्विट्ज़रलैंड बनायें.

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